kaali ghtaaaye hum ko staaye



काली घटाए हम को सताये,
बदल ते ये मौसम बाबा पलके झुकाये,
काली घटाए हम को सताये,

छाए अँधेरा तो तेरा ही सहरा,
कितनो की बदली किस्मत जो भी आया हारा,
दिल के ये अरमान मचले मन राग गाये,
काली घटाए हम को सताये,

दूर निगाहें तुमसे खड़ा मैं निहारु,
सोच में डूबा श्याम कैसे अब पुकारू,
तू ही बना दे हिमत नजर मिलाये 
काली घटाए हम को सताये,

लौटादो तुम मेरी खुशिया वो सारी,
झोली फैलाये खड़ा खाली जो हमारी,
समय की ये चल ऐसी मान भी जाए,
काली घटाए हम को सताये,

चौखठ पे तेरी श्याम भुला न रस्ते,
अंजानो में क्या तुम नहीं वसते,
सजने मिटा दे अँधेरे सदा मुस्कुराये,
काली घटाए हम को सताये,

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