vighanharan mangal karan



विघ्न हरण मंगल करण,
श्री गणपति महाराज,
प्रथम निमंत्रण आपको,
मेरे पूरण करिये काज।।


आओ जी रल मनालिये गौरां दे लाल नूँ,
गौरां दे लाल नू ,गौरां दे लाल नू, शंकर दे लाल नू,
आओ जी रल मनालिये,,,,,

जिसने वी पूजा गणपति, सिरताज़ हो गए,
जो वी शरण में आ गया, सब काज़ हो गए,
चरणां दे विच वी ला लाईए, अपने ख्याल नू,
अपने ख्याल नू ,अपने ख्याल नू, अपने ख्याल नू,
आओ जी रल मना लाईए,,,,,,,


जिसमें वी मिसाल है, तेरी मिसाल दी,
रेहमत जहां वी हो गयी, शंकर दे लाल दी,
काटो क्लेश तोड़ के माया दे जाल नू,
माया दे जाल नू, माया दे जाल नू, माया दे जाल नू,
आओ जी रेल मना लाईए गौरां दे लाल नू,

किरपा करो किरपा करो,
किरपा करो गौरी लाल,
चरनाँ दे नाल ला के गणपत,
कर दो सानू निहाल,
किरपा करो किरपा करो,
किरपा करो गौरी लाल।।


शिव गौरां दे तुम हो बालक,
हो सब दे हितकारी,
रिद्धि सिद्धि दे मालिक तुम हो,
केहन्दी दुनियां सारी,
मेहरान वाली नज़र तू करदे,
देवें संकट टाल,
किरपा करो किरपा करो,
किरपा करो गौरी लाल।।



मंदरा दे विच थाल ने तैनूं, 
लड्डुआं वाले चढ़दे, 
हत्थ जोड़ के चरना दे विच, 
भगत प्यारे खड़दे, 
खुशियां के भंडार खोल के, 
कर दो माला माल,
किरपा करो किरपा करो,
किरपा करो गौरी लाल।।



‘राजू’ वी हरि पुरिया आके, 
अपणी हाजरी लौंदा, 
तेरी वन्दना सबतों पहलां, 
तेरा ‘सलीम’ है गौंदा, 
मेवे फल ते पान चढ़ाइए, 
पूरी श्रद्धा नाल,
किरपा करो किरपा करो,
किरपा करो गौरी लाल।।



Share on Google Plus

About mukeshjha

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 Post a Comment:

Post a Comment