Bhagwaan Shiv Ke Prabhavsali Mantra



हिन्दू धरम में सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवों के देव भगवान शिव की पूजा वैसे तो दोनों रूपों में की जाती है किन्तु शिवलिंग के रूप में अभिषेक भगवान शिव को अधिक प्रिय है | शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को शिवलिंग पूजा रूद्र अभिषेक द्वारा सबसे अधिक प्रिय है | भगवान शिव की आराधना करने से वे तुरंत प्रसन्न होकर अपने भक्तों का कल्याण करते है इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा गया है | भगवान शिव की आराधना करना बहुत ही सरल और फलदायी है | सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देव को समर्पित है भगवान शिव की आराधना के लिए सोमवार का दिन विशेष माना गया है |
शिव जी आराधना : –
भगवान शिव की आराधना में शिवलिंग पूजा को विशेष महत्व दिया गया है | इसलिए सोमवार के दिन मंदिर जाकर उन्हें रूद्र अभिषेक करें इसके साथ – साथ उन्हें  बिल्वपत्र , पुष्प , चावल और फल अर्पित करें , कुमकुम से टीका करें और दूप -दीप जलाकर अपनी क्षमता अनुसार  महामृतुन्जय मंत्र या शिव जी के मूल मंत्र का जाप करें | सोमवार के दिन व्रत रखे |
इसके अतिरिक्त आप भगवान शिव की आराधना भगवान शिव के लोकप्रिय मंत्रों की सहायता से भी कर सकते है | मंत्र इस प्रकार है : -
भगवान शिव का मूल मंत्र :- 
                                              ||  ॐ नमः शिवाय ||
अर्थ : ” हे शिव , मै आपको बार बार नमन करता हूँ ”  |  भगवान शिव का यह मूल मंत्र सबसे सरल और सबसे लोकप्रिय मंत्र है | और इस मंत्र का उच्चारण कोई भी व्यक्ति कर सकता है | इस मंत्र के उच्चारण के लिए कोई विशेष स्थान या फिर विशेष समय की आवश्यकता नही है | दिखने में यह मंत्र बहुत ही सरल और छोटा प्रतीत होता है किन्तु  शिवमहापुराण में दर्शाया गया है कि इस मंत्र के महात्म्य का विस्तार से वर्णन 100 करोड़ वर्षो में भी नहीं किया जा सकता है | इस मंत्र को सभी वेदों का सार तत्व भी माना गया है |
महामृत्युंजय मंत्र :- 

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

अर्थ : -” हम त्रिनेत्रधारी शिव से प्रार्थना करते है जिस प्रकार एक ककड़ी पक जाने पर बेल से स्वतः ही मुक्त हो जाती है | उसी प्रकार इस मानव रुपी जीवन को भी  जन्म – मरण और पुनर्जन्म के बंधन से मुक्त करें और मोक्ष को प्रदान करें ” | इस मंत्र के नियमित उच्चारण से मृत्यु पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है | महामृत्युंजय मंत्र को सभी वैदिक मंत्रो में सबसे बड़ा मंत्र माना गया है |
इस मंत्र के नियमित उच्चारण और श्रवण मात्र से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है , सभी सांसारिक कष्टों और रोगों से मुक्ति मिलती है | शिवपुराण अनुसार यदि इस मंत्र के सवा लाख जाप किये जाये तो जीवन में आने वाले सभी कष्ट समाप्त होकर मनुष्य दीर्घायु को प्राप्त होता है | महामृत्युंजय मंत्रो  का जाप भगवान शिव के मंदिर में शिवलिंग के समक्ष करना श्रेष्ठ  होता है/

महामृत्युंजय गायत्री मंत्र :- 

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम्‌।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्‌ ॐ स्वः भुवः ॐ सः जूं हौं ॐ ||
महामृत्युंजय और गायत्री मंत्र दोनों ही मंत्र हिन्दू धरम में सर्वोच्च स्थान रखते है | दोनों में से यदि किसी भी एक मंत्र का सवा लाख जाप किया जाये तो किसी भी इच्छा को पूर्ण किया जा सकता है | हमारे ऋषि मुनिओं ने दोनों मंत्रो को मिलाकर एक मंत्र का निर्माण किया था जिसे मृत संजीवनी मंत्र के नाम से जाना जाता है |
ऐसी मान्यता है कि यदि इस मंत्र का पूर्ण विधि अनुसार प्रयोग किया जाये तो किसी मृत व्यक्ति को भी जीवित किया जा सकता है | इसलिए इस मंत्र का नाम मृत संजीवनी मंत्र रखा गया है | इस मंत्र में असीमित उर्जा का वास है | एक साधारण व्यक्ति इस उर्जा को नियंत्रित नहीं कर सकता है |

रूद्र गायत्री मंत्र : – 

ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।

कभी -कभी जीवन में ऐसी कठिनाइयाँ आ जाती है जो मनुष्य जीवन को नरक बना देती है | ऐसे में मनुष्य के हर काम बिगड़ते चले जाते है | भगवान शिव का यह रूद्र गायत्री मंत्र आपको जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों से छुटकारा दिलाता है | जितना संभव हो सके आप अपने सामर्थ्य अनुसार भगवान शिव के मंदिर जाकर उनकी विधिवत पूजा कर इस मंत्र के जाप करें, सभी परेशानियाँ स्वतः ही दूर होने लगेगी |
भगवान शिव के अन्य उपासना मंत्र : –
उपरोक्त मंत्रों  के अतिरिक्त आप इन मन्त्रों द्वारा भी भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते है :
ॐ जुं स:  
ॐ हौं जूं स:
ॐ ह्रीं नम: शिवाय
ॐ ऐं नम: शिवाय
ॐ पार्वतीपतये नमः 
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय


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