1, मैं हर एक वस्तु में हूँ और उस वस्तु से परे भी. मैं सभी रिक्त स्थान को भरता हूँ.
2. सबका मालिक एक है.
3.मैं डगमगाता या हिलता नहीं हूँ.
4.यदि तुम मुझे अपने विचारों और उद्देश्य की एकमात्र वस्तु रखोगे, तो तुम सर्वोच्च लक्ष्य प्राप्त करोगे.
5.अपने गुरु में पूर्ण रूप से विश्वास करें. यही साधना है.
6.मैं अपने भक्त का गुलाम हूँ.
7.मेरे रहते डर कैसा?
8.मेरा काम तो आशीर्वाद देना है.
9.सम्पूर्ण रूप से ईश्वर में समर्पित हो जाइये.
10.मेरी शरण में आइये और शांत रहिये. मैं बाकी सब कर दूंगा.
11.मैं निराकार हूँ और मैं सर्वत्र हूँ.
12.यदि कोई अपना पूरा समय मुझमें लगाता है और मेरी शरण में आता है तो उसे अपने शरीर या आत्मा के लिए कोई डर नहीं होना चाहिए.
13.यदि कोई सिर्फ मुझको देखता है और सिर्फ मेरी लीलाओं को सुनता है व खुद को सिर्फ मुझमें समर्पित करता है तो वह भगवान तक पंहुच जायेगा.
14.मैं अपने भक्तों का बुरा नहीं होने दूंगा.
15.अगर मेरा भक्त गिरने वाला होता है तो मैं अपने हाथो बढ़ा कर उसे सहारा देता हूँ.
16.हमारा कर्तव्य क्या है ? ठीक से व्यवहार करना. ये काफी है.
17. जो मुझे प्रेम करते हैं मेरी दृष्टि हमेशा उन पर रहती है.
18.तुम जो भी करते हो, तुम चाहे जहाँ भी हो, हमेशा इस बात को याद रखो: मुझे हमेशा इस बात का ज्ञान रहता है कि तुम क्या कर रहे हो.
19.मैं अपने लोगों के बारे में दिन रात सोचता हूँ. मैं बार-बार उनके नाम लेता हूँ.
20.आप जो कुछ भी देखते हैं उसका संग्रह मैं ही हूँ.
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