Surya Mantra


हिन्दू धर्मानुसार भगवान सूर्य देव एक मात्र ऐसे देव हैं जो साक्षात दिखाई पड़ते हैं। इनकी विधि-विधान द्वारा पूजा करने से सफलता, मानसिक शांति और शक्ति का संचार होता है। सूर्यदेव जी की पूजा में गायत्री मंत्र के अतिरिक्त निम्न मंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
1.पुत्र की प्राप्ति के लिए सूर्य देव के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए:  
    ऊँ भास्कराय पुत्रं देहि महातेजसे।  
    धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात्।।
2.हृदय रोग, नेत्र व पीलिया रोग एवं कुष्ठ रोग तथा समस्त असाध्य रोगों को नष्ट करने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:  
   ऊँ हृां हृीं सः सूर्याय नमः।।
3.व्यवसाय में वृद्धि करने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

   ऊँ घृणिः सूर्य आदिव्योम।।
4.अपने शत्रुओं के नाश के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
   शत्रु नाशाय ऊँ हृीं हृीं सूर्याय नमः
5.अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:  
   ऊँ हृां हृीं सः

6.सभी अनिष्ट ग्रहों की दशा के निवारण हेतु सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

   ऊँ हृीं श्रीं आं ग्रहधिराजाय आदित्याय नमः
7.इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान सूर्यदेव को चन्दन समर्पण करना चाहिए-
  दिव्यं गन्धाढ़्य सुमनोहरम् |
  वबिलेपनं रश्मि दाता चन्दनं प्रति गृह यन्ताम् ||

8.इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को वस्त्रादि अर्पण करना चाहिए-
  शीत वातोष्ण संत्राणं लज्जाया रक्षणं परम् |
  देहा लंकारणं वस्त्र मतः शांति प्रयच्छ में ||

9.भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उन्हें यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिए-
   नवभि स्तन्तु मिर्यक्तं त्रिगुनं देवता मयम् |
   उपवीतं मया दत्तं गृहाणां परमेश्वरः ||

10.इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को घृत स्नान कराना चाहिए-
   नवनीत समुत पन्नं सर्व संतोष कारकम् |
   घृत तुभ्यं प्रदा स्यामि स्नानार्थ प्रति गृह यन्ताम् ||

11.भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें अर्घ्य समर्पण करना चाहिए-
    ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं |
    अर्घ्यं च फ़लं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम् ||

12.इस मंत्र का उच्चारण करते हुए प्रचंड ज्योति के मालिक भगवान दिवाकर को गंगाजल समर्पण करना चाहिए-
   ॐ सर्व तीर्थं समूद भूतं पाद्य गन्धदि भिर्युतम् |
   प्रचंण्ड ज्योति गृहाणेदं दिवाकर भक्त वत्सलां ||

13.इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को आसन समर्पण करना चाहिए-
   विचित्र रत्न खन्चित दिव्या स्तरण सन्युक्तम् |
   स्वर्ण सिंहासन चारू गृहीश्व रवि पूजिता ||

14.सूर्य पूजा के दौरान भगवान सूर्यदेव का आवाहन इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
   ॐ सहस्त्र शीर्षाः पुरूषः सहस्त्राक्षः सहस्त्र पाक्ष |
   स भूमि ग्वं सब्येत स्तपुत्वा अयतिष्ठ दर्शां गुलम् ||

15.इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान सूर्यदेव को दुग्ध से स्नान कराना चाहिए-
   काम धेनु समूद भूतं सर्वेषां जीवन परम् |
   पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थ समर्पितम् ||

16.भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें दीप दर्शन कराना चाहिए-
   साज्यं च वर्ति सं बह्निणां योजितं मया |
   दीप गृहाण देवेश त्रैलोक्य तिमिरा पहम् ||
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