श्री गिरिजापति शंकर महेश
सुन लीजे प्रभि अर्ज हमारी
तुम परमपिता जगपालक
हम मूढ़ अबोध हैं बालक
हम मूढ़ अबोध हैं बालक
तुम देव हो हम हैं पुजारी
भव सिंधु हमारी नैय्या है
कोई ना पार लगिय्या है
कोई ना पार लगिय्या है
हो केवल तुम ही खिवैय्या
कैलाशपते त्रिपुरारी
कैलाशपते त्रिपुरारी
लख दसा हमारी स्वामी
अपनाओ अन्तर्यामी
अपनाओ अन्तर्यामी
हम हैं सेवक खलकामी
बाबा भोले भंडारी
बाबा भोले भंडारी
हम द्वार उमेश तुम्हारे
ठाड़े हैं हाथ पसारे
ठाड़े हैं हाथ पसारे
दो दया दान अब प्यारे
हे जग प्रसिद्व दातारि
हे जग प्रसिद्व दातारि
श्री गिरिजापति शंकर महेश
सुन लिजे प्रभि अर्ज हमारी
सुन लिजे प्रभि अर्ज हमारी
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