bhar lo bhar lo aandan ke khajane shani dar pe mchi hai lut re



भर लो भर लो आंदन के खजाने शनि दर पे मची है लूट रे,
जात धर्म के फेर में आकर खुद में तान न फुट,
भर लो भर लो आंदन के खजाने शनि दर पे मची है लूट रे,

शनि नाम है सत्ये सहारा मत करना तू इस से किनारा,
शल कपट न इसको भाता दुष कर्मो के न्याय दाता,
सुख धन माया छीन जाती है जब से जाते रूठ
भर लो भर लो आंदन के खजाने शनि दर पे मची है लूट रे,

मंदिर मसिजद और गुरु द्वारे भाई चारे के द्वार है सारे,
मानव धर्म ही सच्चा धर्म है दुखियो के तुम बनो सहारे,
शनि खलीकर दुःख का निवारण मिलता सुख भरपूर,
भर लो भर लो आंदन के खजाने शनि दर पे मची है लूट रे,

शनि मंदिर में भीड़ जुटी है आये भक्त सभी नर नारी,
शनि जयंती का दिन आती पवन करे गुण गान सभी गुण कारी,
भक्ति रस की मीठी फुहारे सावन करे विभोर,
भर लो भर लो आंदन के खजाने शनि दर पे मची है लूट रे,

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