श्रीमद्भागवत गीता के कुछ अनमोल विचार जिससे अपना के हम अपने
जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते है...
जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते है...
1. केवल मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है ।
2. नरक के तीन द्वार हैं - वासना, क्रोध और लालच ।
3. वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और 'मैं' और 'मेरा' की लालसा और
भावना से मुक्त हो जाता है उसे शांति प्राप्त होती है ।
4. तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नहीं है, और
फिर भी ज्ञान की बात करते हो, बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही
मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं ।
5. जो हुआ वह अच्छे के लिए हुआ है, जो हो रहा है वह भी अच्छे के लिए
ही हो रहा है, और जो होगा वह भी अच्छे के लिए ही होगा।
6. मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय, किंतु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी
पूजा करते हैं, वह मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ ।
7. जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं ।
8. मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो फिर सब तुम्हारा है
तुम सबके हो ।
9. इतिहास कहता है कि कल सुख था, विज्ञान कहता है कि कल सुख होगा,
लेकिन धर्म कहता है.. कि अगर मन सच्चा और दिल अच्छा हो तो हर
रोज सुख होगा ।
10. जीवन ना तो भविष्य में है और ना ही अतीत में है, जीवन तो केवल इस
पल में है अर्थात इस पल का अनुभव ही जीवन है ।
11. आज जो कुछ आपका है, पहले किसी और का था और भविष्य में
किसी और का हो जाएगा, परिवर्तन ही संसार का नियम है ।
12. जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के सामान कार्य
करता है ।
13. व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु
पर चिंतन करें ।
14. मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वह विश्वास करता है वैसा
वह बन जाता है ।
15. कर्म मुझे बांधता नहीं, क्यूंकि मुझे कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा
नहीं ।
16. अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से
बेहतर है ।
17. फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को
सफल बनाता है ।
18. सदैव सन्दहे करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता न इस लोक में है न ही
कही और।
2. नरक के तीन द्वार हैं - वासना, क्रोध और लालच ।
3. वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और 'मैं' और 'मेरा' की लालसा और
भावना से मुक्त हो जाता है उसे शांति प्राप्त होती है ।
4. तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नहीं है, और
फिर भी ज्ञान की बात करते हो, बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही
मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं ।
5. जो हुआ वह अच्छे के लिए हुआ है, जो हो रहा है वह भी अच्छे के लिए
ही हो रहा है, और जो होगा वह भी अच्छे के लिए ही होगा।
6. मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय, किंतु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी
पूजा करते हैं, वह मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ ।
7. जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं ।
8. मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो फिर सब तुम्हारा है
तुम सबके हो ।
9. इतिहास कहता है कि कल सुख था, विज्ञान कहता है कि कल सुख होगा,
लेकिन धर्म कहता है.. कि अगर मन सच्चा और दिल अच्छा हो तो हर
रोज सुख होगा ।
10. जीवन ना तो भविष्य में है और ना ही अतीत में है, जीवन तो केवल इस
पल में है अर्थात इस पल का अनुभव ही जीवन है ।
11. आज जो कुछ आपका है, पहले किसी और का था और भविष्य में
किसी और का हो जाएगा, परिवर्तन ही संसार का नियम है ।
12. जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के सामान कार्य
करता है ।
13. व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु
पर चिंतन करें ।
14. मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वह विश्वास करता है वैसा
वह बन जाता है ।
15. कर्म मुझे बांधता नहीं, क्यूंकि मुझे कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा
नहीं ।
16. अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से
बेहतर है ।
17. फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को
सफल बनाता है ।
18. सदैव सन्दहे करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता न इस लोक में है न ही
कही और।
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