भगवान शिव के अर्धनारीश्वर अवतार की कथा | Bhgwan Shiva Ka Ardhnarishvr Aavtar Ki Katha

                                        
 भगवान शिव के समस्त प्राणियों को सुख देने वाले तथा सम्पूर्ण लोको का कल्याण करने वाले हैं उनका अर्धनारीश्वर अवतार परम कल्याणकारी हैं | भगवान शिव की पूजा सभी प्रकार के अभय प्रदान करने वाली हैं | सभी प्रकार की मनोकामनाओ को पूर्ण करने वाली हैं | भगवान शिव ने विविध कल्पो में असंख्य अवतार लिए उन्ही में से एक अवतार हैं अर्धनारीश्वर अवतार हैं | भगवान शिव की पूजा अर्चना सदियों से हो रही है लेकिन इस बात को बहुत कम लोग ही जानते हैं कि शिव का एक और रूप है जो है अर्धनारीश्वर | स्त्री-पुरुष की समानता का पर्याय है अर्धनारीश्वर |भगवान शंकर के अर्धनारीश्वर अवतार में हम देखते हैं कि भगवान शंकर का आधा शरीर स्त्री का तथा आधा शरीर पुरुष का है। यह अवतार महिला व पुरुष दोनों की समानता का संदेश देता है। समाज, परिवार तथा जीवन में जितना महत्व पुरुष का है उतना ही स्त्री का भी है। एक दूसरे के बिना इनका जीवन अधूरा है | ये दोनों एक दुसरे के पूरक हैं |  
शिवपुराण के अनुसार सृष्टि के आदि में प्रजा की वृद्धि न होने पर ब्रह्माजी उस दुःख से दुखी हो उठे उनके मन में कई सवाल उठने लगे, तब उन्होंने मैथुनी सृष्टि उत्पन्न करने का संकल्प किया।परन्तु भगवान शिव की कृपा के बिना ये सम्भव नहीं था | तब ब्रह्माजी ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया | ब्रह्माजी के कठोर तप के प्रभाव से भगवान शिव ब्रह्माजी के समक्ष अर्धनारीश्वर स्वरूप में प्रकट हुए | शिवजी ने कहा – हे वत्स ! मैं तुम्हारे तप से प्रसन्न हूँ और तुम्हे तुम्हारा अभीष्ट फल प्रदान करता हूँ | यह कहकर भगवान शिव ने अपने शरीर से अर्धनारीश्वर स्वरूप को अलग कर दिया | उसके बाद ब्रह्माजी ने उनकी उपासना की । उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शक्ति ने अपनी भृकुटि के मध्य से अपने ही समान कांति वाली एक अन्य शक्ति की सृष्टि की जिसने दक्ष के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया | इस प्रकार शिव देवी शम्भु के शरीर में प्रविष्ट हो गइ और तभी से इस संसार में स्त्री की रचना हुई |
अर्धनारीश्वर अवतार लेकर भगवान शंकर जी ने यह संदेश दिया है कि समाज के कल्याण के लिए स्त्री और पुरुष दोनों ही एक दुसरे के पूरक हैं | तथा परिवार में महिलाओं को भी पुरुषों के समान ही आदर व प्रतिष्ठा मिले।

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