Bhagwan Tumhe Mai Khat Likhti Par Pta Tumhara Malum Nhi

भगवान तुम्हें मैं खत लिखती
पर पता मुझे मालूम नहीं
दुःख भी लिखती सुख भी लिखती
पर पता मुझे मालूम नहीं
भगवान तुम्हें मैं खत लिखती
पर पता मुझे मालूम नहीं
सूरज से पूछा चंदा से पूछा
पूछा टिम टिम तारो से
इन सबने कहा अम्बर में है
पर पता मुझे मालूम नहीं
फूलो से पूछा कलियों से पूछा
पूछा बाग़ के माली से
इन सबने कहा हर डाल पे है
पर पता मुझे मालूम नहीं
नदियों से पूछा लहरों से पूछा
पूछा झर झर झरनो ने कहा
सागर में है पर पता मुझे मालूम नहीं
भगवान तुम्हें मैं खत लिखती
पर पता मुझे मालूम नहीं
साधु से पूछा संतो से पूछा
पूछा दुनिया के लोगो से
इन् सबने कहा ह्रदय में है
पर पता मुझे मालूम नहीं
भगवान तुम्हें मैं खत लिखती
पर पता मुझे मालूम नहीं

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